AIIMS देश का ‘मातृश्री’ अस्पताल, पर निजी वार्डों की कमी मरीजों पर भारी

- Reporter 12
- 14 Oct, 2025
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देश भर से आने वाले मरीज और उनके परिजन सुव्यवस्थित इलाज के लिए तरस रहे हैं; 288 निजी कमरे नाकाफी — सरकार तुरंत हस्तक्षेप कर
---------------------------------------AIIMS, नई दिल्ली भारत के स्वास्थ्य तंत्र की शान माने जाने वाले AIIMS नई दिल्ली में हालात कोई गर्व करने वाली नहीं हैं। देश के कोने‑कोने से इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, पर अस्पताल की सुविधा विशेषकर निजी कमरे — इसी वृद्धि के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रही। जानकारी के अनुसार एम्स के सूत्र ने बताया कि वर्तमान में उपलब्ध लगभग 288 निजी कमरे पर्याप्त नहीं हैं; परिणामस्वरूप मरीजों और उनके साथ आने वाले परिजनों को बेड, गोपनीयता और आराम की कमी से जूझना पड़ता है।
कमरों की इस कमी का सीधा असर मरीजों की जीवन‑रक्षक प्रक्रियाओं पर पड़ता है। ऑपरेशन के लिए मरीजों को चार,चार या छह‑छह महीने इंतजार करना पड़ता है। वहीं, आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज के लिए तो एक से दो साल तक का इंतजार करना पड़ता है। इतने लंबे इंतजार के बीच कई मरीजों की सेहत गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती है। यदि पर्याप्त निजी कमरे उपलब्ध होते,तो ऑपरेशन वाले मरीजों को तुरंत भर्ती किया जा सकता था और इलाज में विलंब नहीं होता।यह केवल आकड़ा नहीं, बल्कि वास्तविक दर्द है: जाॅच-इलाज के लिए रात भर इंतज़ार, ऑपरेशन के बाद उपयुक्त रिकवरी स्पेस की अनुपलब्धता, और लंबी यात्राओं के बाद थके हुए परिवारों के लिए आराम का अभाव। ऐसे माहौल में इलाज की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है ।निजी वार्ड केवल “आराम” का नाम नहीं, बल्कि रिकवरी, संक्रमण नियंत्रण और मानसिक शांति के लिहाज़ से अहम हैं।AIIMS की प्रतिष्ठा और क्षमता देश के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की कसौटी मानी जाती है। इसलिए यह स्वीकार्य नहीं कि एक शीर्ष संस्थान अपने रोगियों की बुनियादी सुविधाओं में इस कदर कमज़ोर दिखे। सरकार और अस्पताल प्रबंधन के पास तत्काल विकल्प मौजूद हैं ।इमरजेंसी एक्सपेंशन, ओपीडी‑वैकल्पिक मॉडल, सार्वजनिक‑निजी भागीदारी से तेजी से नए निजी वार्डों का निर्माण, या नजदीकी सरकारी/निजी हॉस्पिटलों के साथ बेड‑शेयरिंग व्यवस्था।
सुझाव (कदम जो उठने चाहिए)
1. तत्काल स्तर पर एक त्वरित ऑडिट कर के कमरे की कमी और वेटलिस्ट का सार्वजनिक खुलासा।
2. अगले 6–12 महीनों में निजी कमरे बढ़ाकर कम से कम 500–600 करने की योजना — फेज‑वाइज विस्तार और फंडिंग सुनिश्चित करके।
3. मरीज केन्द्रित पॉलिसियाँ: लंबी अवधि के बेड रिजर्वेशन, पारदर्शी बुकिंग और इमरजेंसी रिजर्वेशन मैकेनिज्म।
4. राज्य/केंद्र सरकार और AIIMS प्रशासन के बीच समन्वित कार्ययोजना; पीपीपी मॉडल पर विचार।
गौरतलब है कि,AIIMS देश का गौरव है।पर गौरव के साथ ज़िम्मेदारी भी आती है। जब देश भर के लोग अपनी आखिरी उम्मीद लेकर इस संस्थान की ओर आते हैं, तो उन्हें सिर्फ श्रेष्ठ चिकित्सकीय देखभाल ही नहीं बल्कि न्यूनतम आराम और गोपनीयता भी मिलनी चाहिए। 288 कमरे अब वर्तमान माँग का माप नहीं देते समय आ गया है कि शासन और प्रशासन मिलकर इस कमी को भरें, वरना प्रतिष्ठा तो बनी रहेगी पर सैकड़ों परिवारों का भरोसा और सहनशीलता टूटती रहेगी।
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